Question
Download Solution PDF"प्रेम मार्ग का ऐसा प्रवीण और धीर पथिक तथा जवाँदानी का ऐसा दावा रखने वाला ब्रजभाषा का दूसरा कवि नहीं हुआ।"
उक्त कथन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इनमें से किस कवि के लिए कहा ?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDF"प्रेम मार्ग का ऐसा प्रवीण और धीर पथिक तथा जवाँदानी का ऐसा दावा रखने वाला ब्रजभाषा का दूसरा कवि नहीं हुआ।"
उक्त कथन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इनमें से कवि के लिए कहा - घनानन्द
Key Pointsघनानंद-
- (1689-1739 ई.)
- रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्यधारा के मुख्य कवि रहे है।
- मुगल बादशाह मुहम्मद के मीर मुंशी थे।
- "प्रेमिका - सुजान" घनानंद कवि की प्रेमिका का नाम था।
- घनानंद को 'प्रेम की पीर' का कवि कहा जाता है।
- मुख्य रचनाएँ-
- वियोगवेली,
- इश्कलता,
- प्रीतिपावस,
- कृपाकंद,
- विरह लीला,
- कोकसार आदि।
Important Points आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के महत्वपूर्ण कथन-
- “इनकी रचना कलापक्ष में संयत और भावपक्ष में रंजनकारिणी है।” (पद्माकर के बारे में)
- “छंदशास्त्र पर इनका-सा विशद निरूपण और किसी कवि ने नहीं किया है।” (देव कवि के बारे में)
Additional Informationआचार्य रामचंद्र शुक्ल-
- (1884 - 1941 ई.)
- हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार,
- साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- कृतियाँ-
- आलोचनात्मक ग्रंथ - सूर, तुलसी, जायसी पर की गई आलोचनाएँ, काव्य में रहस्यवाद, काव्य में अभिव्यंजनावाद, रसमीमांसा आदि।
- निबन्धात्मक ग्रन्थ - उनके निबन्ध चिंतामणि नामक ग्रंथ के दो भागों में संग्रहीत हैं।
पद्माकर-
- (1753 - 1883 ई.)
- पद्माकर भट्ट रीति काल के कवियों में इन्हें बहुत श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है।
- प्रमुख रचनाएं -
- हिम्मतबहादुर विरुदावली
- प्रतापसिंह विरुदावली
- रामरसायन
- पद्माभरण
- जगद्विनोद
- प्रबोध पचासा
- गंगा लहरी
- ईश्वर पचीसी।
आलम-
- आचार्य शुक्ल के अनुसार इनका कविता काल 1683 से 1703 ईस्वी तक रहा।
- ये रीतिकाल के एक हिन्दी कवि थे जिन्होने रीतिमुक्त काव्य रचा।
- इनका प्रारंभिक नाम लालमणि त्रिपाठी था।
- प्रसिद्ध रचनाएं -
- माधवानल कामकंदला (प्रेमाख्यानक काव्य)
- श्यामसनेही (रुक्मिणी के विवाह का वर्णन, प्रबंध काव्य)
- सुदामाचरित (कृष्ण भक्तिपरक काव्य)
- आलमकेलि (लौकिक प्रेम की भावनात्मक और परम्परामुक्त अभिव्यक्ति, श्रृंगार और भक्ति इसका मूल विषय है)
देव-
- (1673 - 1767 ई.)
- वे रीतिकाल के रीतिग्रंथकार कवि हैं। उनका पूरा नाम देवदत्त था।
- काव्य-रचनाएँ-
- रसविलास
- भावविलास
- भवानीविलास
- कुशलविलास
- अष्टयाम
- सुजान विनोद
- राग रत्नाकर आदि।
Last updated on Jul 7, 2025
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