पद्यांश MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for पद्यांश - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക

Last updated on Apr 20, 2025

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Latest पद्यांश MCQ Objective Questions

Top पद्यांश MCQ Objective Questions

पद्यांश Question 1:

Comprehension:

दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्न के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए

विद्या-धन अद्भुत बहुत, खर्च करो बढ़ जाए,

इस धन का धनवान तो, कीर्ति - शिखर चढ़ जाए।

समय बहुत अनमोल है, करो समय का ध्यान,

हाथ गए फिर ना मिले, निकले तीर समान।

उद्यम ऐसा मीत है, प्रीत की रीत निभाए,

कठिन असंभव काम को, संभव कर दिखलाए।

परिश्रम करने के क्या लाभ हैं?

  1. कठिन काम भी हो जाते हैं।
  2. हर असंभव कार्य पूर्ण हो जाता है।
  3. सभी को प्रीत करना सिखाता हैं।
  4. व्यक्ति बहुत अमीर बन जाता है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : कठिन काम भी हो जाते हैं।

पद्यांश Question 1 Detailed Solution

परिश्रम करने के लाभ हैं- कठिन काम भी हो जाते हैं।

Key Points

  • काव्यांश की अंतिम पंक्ति "उद्यम ऐसा मीत है, प्रीत की रीत निभाए, कठिन असंभव काम को, संभव कर दिखलाए" के आधार पर, यह स्पष्ट होता है कि कठिन काम भी हो जाते हैं।

Important Pointsव्याख्या:

  • इस काव्यांश में कवि विद्या, समय, और परिश्रम की महत्ता को जोर देते हैं।
  • वे कहते हैं कि परिश्रम ऐसा साथी है जो सच्ची मित्रता की रीति निभाता है, अर्थात् उसका सहयोग हमेशा हमारे साथ होता है।
  • इसके द्वारा, वे यह संकेत देते हैं कि कठिन और लगभग असंभव जैसे काम भी संभव हो सकते हैं, अगर हम परिश्रम से काम करते हैं।
  • यहाँ 'उद्यम' शब्द का अर्थ है परिश्रम या कठोर प्रयास।
  • अत: कवि कहते हैं कि कठिनाईयाँ केवल अस्थायी होती हैं, और सतत परिश्रम से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।

पद्यांश Question 2:

Comprehension:

निर्देश:- दिए गए काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

यह न स्वत्व का त्याग, दान तो जीवन का झरना है

रखना उसको रोक मृत्यु के पहले ही मरना है।

किस पर करते कृपा वृक्ष यदि अपना फल देते है?

गिरने से उसको सँभाल क्यों रोक नहीं लेते है?

ऋतु के बाद फलों का रुकना डालों का सड़ना है

मोह दिखाना देय वस्तु पर आत्मघात करना है

देते तरु इसलिए कि रेशों में ना कीट समाएँ

रहें डाालियाँ स्वस्थ्य और फिर नए-नए फल आएँ

कविता का मुख्य स्वर है ______

  1. प्रकृति का महत्त्व
  2. ॠतुओं का महत्त्व
  3. दान का महत्त्व
  4. मृत्यु का महत्त्व

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : दान का महत्त्व

पद्यांश Question 2 Detailed Solution

कविता का मुख्य स्वर है- दान का महत्त्व

Key Points

  • कविता का मुख्य स्वर 'दान का महत्त्व' है।
  • कवि ने दान को जीवन के झरने से तुलना की है, और स्वत्व का त्याग करने को मृत्यु से पहले मरना कहा है।
  • कवि वृक्ष की प्रकृति का उदाहरण देते हैं, जो अपने फल देते हैं बिना किसी भेदभाव के।
  • वे यह भी कहते हैं कि देय वस्तु पर मोह दिखाना आत्मघात है।

Additional Informationव्याख्या:

  • इस कविता में कवि ने दान का महत्त्व स्पष्ट किया है।
  • उन्होंने दान को जीवन के झरने की तरह वर्णित किया है, जो अपना पानी बहाता है और उसे रोकना मृत्यु से कम नहीं होता।
  • कवि ने वृक्ष का उदाहरण देकर बताया है कि वह अपने फल किसे दे रहा है, इस पर विचार नहीं करता।
  • वह केवल देता है, और उसके द्वारा दिए गए फलों को गिरने नहीं देता। 
  • वृक्ष की तरह, हमें भी दान करना चाहिए, बिना किसी भेदभाव या स्वार्थ के।
  • इसके अलावा, कवि ने यह भी स्पष्ट किया है कि देय वस्तु पर मोह दिखाना, यानी उसे देने से कतराना, आत्मघात है।
  • आखिरी पंक्तियों में कवि ने यह बताया है कि वृक्ष उसीलिए फल देता है ताकि उसकी डालों में कीट न समाएं और वह स्वस्थ्य रह सके।
  • इसे कवि ने मनुष्य जीवन से जोड़कर दान करने की महत्ता को बताया है।

पद्यांश Question 3:

Comprehension:

दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्न का विकल्प चुनिए।

रक्तपात पर अड़ा नहीं यह,

दया - दंड मे जड़ा हुआ।

खड़ा नहीं पशु-बल के ऊपर,

आत्म-शक्ति से बड़ा हुआ।

इसको छोड़ कहाँ वह सच्ची,

विजय- वीरता ठहरें।

भारत का झंडा फहरे।

'विजय' शब्द का विलोम है- 

  1. पराजय
  2. हार
  3. आक्रांत
  4. ध्वस्त

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : हार

पद्यांश Question 3 Detailed Solution

'विजय' शब्द का विलोम है- हार

  • विजय- जय, जीत, फतह
  • हार- पराजय अजय, शिकस्त। (सी.बी.एस.ई द्वारा दी गई, उत्तर कुंजी में इसको सही उत्तर माना गया है)

Confusion Points

  • सी.बी.एस.ई द्वारा दी गई, उत्तर कुंजी में 'विजय' शब्द का विलोम 'हार' को सही उत्तर माना गया है।
  • 'जय' शब्द का विलोम 'पराजय' होता है 

Key Points

  • आक्रांत-
    • अर्थ: जिस पर हमला किया गया हो।
    • ​विलोम शब्द - 'अनाक्रांता' (अर्थ: जो पीड़ित न हो।)
  • ध्वस्त-
    • अर्थ: ​ढहा हुआ, नष्ट, पतित; गिरा हुआ।
    • ​विलोम शब्द - 'निर्माण' 

Additional Informationकुछ अन्य महत्वपूर्ण विलोम शब्द-

शब्द  विलोम
कृतज्ञ कृतघ्न
दुर्लभ सुलभ
निरक्षर  साक्षर
नूतन  पुरातन
क्षणिक  शाश्वत
विधि निषेध
विधवा सधवा
शयन  जागरण
सगुण  निर्गुण
मूक   वाचाल

पद्यांश Question 4:

मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लोने को दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वस बचाने को भगवान हस्तिनापुर आए, पांडव का संदेशा लाए दो न्याय अगर तो आधा दो, पर इसमें भी यदि बाधा हो तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम हम वहीं खुशी से खाएँगे, परिजन पर असि न उठाएँगे दुर्योधन वह भी दे न सका, आशीष समाज का ले न सका उलटे हरि को बाँधने चला, जो था असाहय साधने चला जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।

'भगवान' का पर्यायवाची है:

  1. प्रभु
  2. ईश्वर 
  3. परमात्मा 
  4. उपर्युक्त सभी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उपर्युक्त सभी

पद्यांश Question 4 Detailed Solution

'भगवान' का पर्यायवाची है: उपर्युक्त सभी

  • प्रभु, परमेश्वर, ईश्वर, परमात्मा - भगवान के पर्याय है। 

Key Points

शब्द

परिभाषा

उदाहरण

पर्यायवाची

एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।

आग-अनल, पावक, दहन।
हवा-समीर, अनिल, वायु।

Additional Information कुछ महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द  -

शब्द पर्यायवाची शब्द 
नदी सरिता, तटिनी, तरंगिणी, निर्झरिणी, आपगा, कूलंकषा।
अंबर  आकाश, आसमान, गगन, फलक, नभ।
इंद्र  सुरपति, देवराज, मघवा, देवेश, वासव, सुरेश।
कनक  कंचन, सुवर्ण, हिरण्य, हेम, हाटक, सोना, स्वर्ण।
कपड़ा लिबास, वसन, चीर, चेल, परिधान, पट, पोशाक, वस्त्र। 
बादल  मेघ, जलधर, अंबुद, वारिद, पयोद, नीरद, घन।

पद्यांश Question 5:

Comprehension:

दी गई कविता की पंक्तियों को पढ़कर सबसे उचित विकल्प का चयन कीजिए। 

कट गया है शीश पर

शीश है झुका नहीं

राही उसी का नाम है।

जो राह में रुका नहीं

एक दिन प्रकाश होता है।

कितना भी अंधकार हो

सत्य की विजय सदा

असत्य की हार हो।

सच्चाई साथ में रहे

कैसा भी अपना अंत हो

सत्य की विजय सदा

असत्य की हार हो।

'अंधकार ' ________ का प्रतीक नहीं है।

  1. समाधान
  2. बुराई
  3. निराशा
  4. चुनौतियाँ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : समाधान

पद्यांश Question 5 Detailed Solution

पद्यांश  के अनुसार- 'अंधकार 'समाधान का प्रतीक नहीं है।
Key Points  "समाधान" का सही उत्तर होने का कारण निम्नलिखित बिंदुओं में समझाया जा सकता है:

अंधकार के प्रतीकात्मक अर्थ:

  • आमतौर पर, काव्य या साहित्य में, अंधकार (अधकार) को बुराई, निराशा, या चुनौतियों के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
  • ये प्रतीकात्मक अर्थ अंधेरे के सामाजिक-सांस्कृतिक नकारात्मक संवेदनाओं से जुड़े हुए हैं।

समाधान का अर्थ:

  • "समाधान" का अर्थ होता है हल या उत्तर, जो किसी समस्या का निराकरण प्रस्तुत करता है।
  • समाधान एक सकारात्मक घटक है जो समस्याओं या चुनौतियों को हल करने से जुड़ा होता है, इसीलिए यह अंधकार का प्रतीक नहीं हो सकता।

अंधकार और समस्याओं का संबंध:

  • अंधकार, बुराई, निराशा, या चुनौतियों को व्यक्त कर सकता है, क्योंकि ये सभी नकारात्मक या अवांछित परिस्थितियाँ हैं।
  • इसके विपरीत, समाधान इन समस्याओं को दूर करने का माध्यम है, जो अंधकार के हटाने या उजाले की ओर ले जाने का संकेत देता है।

साहित्यिक और वास्तविकता का प्रस्तुतीकरण:

  • साहित्य में अंधकार और प्रकाश का उपयोग अक्सर विपरीत संकेतों के रूप में होता है,
  • जहाँ प्रकाश ज्ञान, आशा, और समाधान का प्रतीक होता है, वहीं अंधकार बुराई, निराशा, और चुनौतियों को दर्शाता है।

Additional Information पद्यांश में प्रमुख शब्दों के अर्थ 

  1. शीश - सिर या मस्तक।
  2. राही - यात्री या रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति।
  3. प्रकाश - रोशनी या उजाला।
  4. अंधकार - अंधेरा या रोशनी का अभाव।
  5. सत्य - सच्चाई या वास्तविकता।
  6. असत्य - झूठ या गलत।
  7. विजय - जीत या सफलता।
  8. हार - पराजय या हारने की स्थिति।
  9. सच्चाई - सत्यता या सच्चा होना।
  10. अंत - समाप्ति या अवसान।

पद्यांश Question 6:

Comprehension:

नीचे दिए गए काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिए।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,

दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली,

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,

आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,

बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की

'बरस बाद सुधि लीन्हीं' -

बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की।

काव्यांश में 'अकुलाईलता' किसके प्रतीक के रूप में है?

  1. मुरझाई बेल
  2. थकी हुई प्रौढ़ा
  3. व्याकुल प्रियतमा
  4. सूखी पगडंडी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : व्याकुल प्रियतमा

पद्यांश Question 6 Detailed Solution

काव्यांश में 'अकुलाईलता' के प्रतीक के रूप में है- व्याकुल प्रियतमा। 

  • काव्यांश के अनुसार-
    • बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की।
    • पंक्ति का भाव- कवि कहता है कि जल की बूंदों के लिए व्याकुल लताएं (प्रियतमा) गुस्से से दरवाज़े के पीछे छिपकर मेघ से शिकायत कर रही हैं। 
    • कि वो कब से प्यासी मेघ (प्रियतम) का इंतज़ार कर रही हैं और उन्हें अब आने का समय मिला है। 

Key Points

  • व्याकुल-
    • ​आकुल, बेचैन, परेशान, व्यग्र।
  • प्रियतमा-
    • अत्यंत प्रिय (स्त्री), प्रेमिका, माशूक़ा, पत्नी।

Additional Informationप्रौढ़ा-

  • अधिक उम्र वाली स्त्री।

पगडंडी-

  • पतला रास्ता, सँकरा मार्ग।

पद्यांश Question 7:

Comprehension:

निर्देश:- दिए गए काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

यह न स्वत्व का त्याग, दान तो जीवन का झरना है

रखना उसको रोक मृत्यु के पहले ही मरना है।

किस पर करते कृपा वृक्ष यदि अपना फल देते है?

गिरने से उसको सँभाल क्यों रोक नहीं लेते है?

ऋतु के बाद फलों का रुकना डालों का सड़ना है

मोह दिखाना देय वस्तु पर आत्मघात करना है

देते तरु इसलिए कि रेशों में ना कीट समाएँ

रहें डाालियाँ स्वस्थ्य और फिर नए-नए फल आएँ

पेड़ों से फलों का उतरना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इससे _________

  1. पेड़ों की डालियाँ बढ़ती जाती है।
  2. फल सड़ने से बच जाता है।
  3. फल बेचकर धन कमाया जाता है।
  4. पेड़ों की डालों को हानि नहीं होती।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : पेड़ों की डालों को हानि नहीं होती।

पद्यांश Question 7 Detailed Solution

पेड़ों से फलों का उतरना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इससे पेड़ों की डालों को हानि नहीं होती।

Key Points

  • कविता के आधार पर, पेड़ों से फलों का उतरना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इससे "पेड़ों की डालों को हानि नहीं होती।" 

Additional Informationव्याख्या:

  • कविता में कवि ने वृक्ष के फलों को उसकी डालों से गिरने की अनिवार्यता का चित्रण किया है।
  • कवि कहते हैं कि फलों का उतरना अनिवार्य है क्योंकि यदि वे डालों पर ही रहते हैं तो वे सड़ जाएंगे और डालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • इसके अलावा, फलों का उतरना डालों के लिए अच्छा होता है क्योंकि इससे वे नए फलों को उत्पन्न कर सकते हैं। 
  • इसलिए, यह कविता हमें यह सिखाती है कि दान और साझा करने में ही असली उत्कृष्टता और वृद्धि है, चाहे वह प्रकृति हो या मानव समाज।
  • जैसे कि वृक्ष अपने फलों को देकर अपनी वृद्धि और उत्पादकता को बनाए रखता है, वैसे ही मानव समाज भी दान और साझेदारी के माध्यम से अपने स्वस्थ्य और समृद्धि को बनाए रख सकता है।

पद्यांश Question 8:

Comprehension:

दिये गये काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्न के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

पीकर जिनकी लाल शिखाएँ

उगल रहीं लू-लपट दिशाएँ

जिनके सिंहनाद से सहमी

धरती रही अभी तक डोल।

कलम, आज उनकी जय बोल !

अंधा चकाचौंध का मारा

क्या जाने इतिहास बेचारा ?

साक्षी हैं उनकी महिमा के,

सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।

कलम आज उनकी जय बोल !

कविता में 'उनकी' सर्वनाम का प्रयोग किनके लिए किया गया है? 

  1. वीरों की
  2. सिंहों की
  3. लेखकों की
  4. दिशाओं की

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वीरों की

पद्यांश Question 8 Detailed Solution

कविता में 'वीरों की' सर्वनाम का प्रयोग किनके लिए किया गया है।

  • वीरों की - यह सही विकल्प है। कविता में 'उनकी' का प्रयोग वीरों के लिए किया गया है जो अपनी शौर्यगाथा के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • यहां 'लाल शिखाएँ', 'सिंहनाद', 'धरती की डोलना' आदि जैसे शब्दों का प्रयोग वीरता और बहादुरी को दर्शाने के लिए किया गया है।

Key Points
अन्य विकल्पों का विश्लेषण:

  • सिंहों की - यहाँ 'सिंहनाद' शब्द केवल वीरता और बहादुरी की तुलना करने के लिए सिंह का प्रयोग हुआ है, 'उनकी' सिंहों के लिए नहीं है।
  • लेखकों की - कविता में 'कलम' का उल्लेख है, लेकिन यह वीरों की जय-जयकार करने के लिए है, न कि लेखकों की प्रशंसा के लिए।
  • दिशाओं की - 'दिशाएं' यहाँ संदर्भित हैं, लेकिन वे केवल वीरों की वीरता का वर्णन करने का एक तरीका हैं, 'उनकी' दिशाओं के लिए नहीं है।

पद्यांश Question 9:

Comprehension:

निर्देश: काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए-
हवा चले अनुकूल तो नावें नौसिखिए भी खे लेते हैं,
सहज डगर पर लँगड़े भी चल बैसाखी से लेते हैं।
मिट जाते जो दीप स्वयं रोशन कर लाख चिरागों को
नमन उन्हें है, जो लौटा लाते हैं गई बहारों को ।
फैलाकर के हाथ किसी के सम्मुख झुकना आसाँ है,
बहती नदिया से पानी पी प्यास बुझाना आसाँ है,
नित्‍य खोदकर नए कुऍं जो सबकी प्‍यास बुझाते है,
वही लोग हैं जो सदियों तक जग में पूजे जाते हैं।

_______ में प्रथम और तृतीय चरणों में तेरह एवं दूसरे तथा चौथे चरणों में ग्यारह ग्यारह मात्राएँ होती हैं।

  1. चौपाई छंद
  2. दोहा छंद
  3. कुण्डलिया छंद
  4. हरिगीतिका छंद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : दोहा छंद

पद्यांश Question 9 Detailed Solution

दोहा छंद में प्रथम और तृतीय चरणों में तेरह एवं दूसरे तथा चौथे चरणों में ग्यारह ग्यारह मात्राएँ होती हैं।

Key Pointsदोहा छंद-

  • यह अर्धसममात्रिक छंद होता है। ये सोरठा छंद के विपरीत होता है।
  • इसमें पहले और तीसरे चरण में 13-13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
  • इसमें चरण के अंत में लघु (।) होना जरूरी होता है। 
  • जैसे:- 
    • राम  नाम मणि  दीप धरि, जीह देहरी द्वार । 
    • S I   S I   I  I   S I   I I   S I  S I S  S I = 13 + 11 = 24
    • तुलसी भीतर बाहिरहु , जो चाहसि उजियार ।।   

Additional Informationचौपाई:-

  • इस चौपाई में चार चरण होते हैं,
  • प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
  • चरण के अन्त में जगण (I I S)  अथवा तगण (S I I)  नहीं होना चाहिए,
  • अन्तिम दो वर्ण गुरु-लघु (S I) भी नहीं होने चाहिए।

कुण्डलिया:-

  • दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है।
  • इस छंद के चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में 24 मात्राएँ होती है। 
  • कुंडलिया के पहले दो चरण दोहा तथा शेष चार चरण रोला से बने होते है।
  • दोहा के प्रथम एवं तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।

हरिगीतिका-

  • हरिगीतिका चार चरणों वाला एक सम मात्रिक छंद है।
  • इसके प्रत्येक चरण में 16 व 12 के विराम से 28 मात्रायें होती हैं।
  • अंत में लघु गुरु आना अनिवार्य है। 

पद्यांश Question 10:

Comprehension:

निर्देश: काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए-
हवा चले अनुकूल तो नावें नौसिखिए भी खे लेते हैं,
सहज डगर पर लँगड़े भी चल बैसाखी से लेते हैं।
मिट जाते जो दीप स्वयं रोशन कर लाख चिरागों को
नमन उन्हें है, जो लौटा लाते हैं गई बहारों को ।
फैलाकर के हाथ किसी के सम्मुख झुकना आसाँ है,
बहती नदिया से पानी पी प्यास बुझाना आसाँ है,
नित्‍य खोदकर नए कुऍं जो सबकी प्‍यास बुझाते है,
वही लोग हैं जो सदियों तक जग में पूजे जाते हैं।

मुहावरा "भेड़ियाधसान होना " का निम्न में से क्या अर्थ है?

  1. रहस्य प्रकट करना
  2. देखा-देखी करना
  3. सरगर्मी होना
  4. दुःख से दिन काटना

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : देखा-देखी करना

पद्यांश Question 10 Detailed Solution

मुहावरा "भेड़ियाधसान होना" का अर्थ है - देखा-देखी करना

Key Points

  • 'भेड़ियाधसान होना' का अर्थ - देखा-देखी करना
  • वाक्य प्रयोग - हमारी कॉलोनी में तो सब "भेड़िया धसान है", एक आदमी जो करेगा, वही सब करने लगेंगे
  • मुहावरा - ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ को प्रकट करते है, उसे मुहावरा कहते है। 
    • जैसे : एक अनार सौ बीमार - वस्तु एक परंतु लेने वाले बहुतवाक्य प्रयोग - मोहन दस समोसे लाया लेकिन घर पहुंचा तो देखा "एक अनार सौ बीमार"। 

Important Points

मुहावरा  अर्थ 
पोल खोलना, उगल देना रहस्य प्रकट करना 
अंगार बरसना गरमी पड़ना या प्रचंड लू चलना। 
पहाड़ होना दिन काटे ना करना। 

Additional Information 

मुहावरा  अर्थ  वाक्य प्रयोग 
आग में घी डालना क्रोध भड़काना मेरे और मेरे मित्र की लड़ाई में उसने "आग में घी डालने का काम किया"।
​आकाश कुसुम होना  नामुमकिन कार्य होना  किसी सामान्य व्यक्ति के लिए प्रधान मंत्री से मिलना "आकाश–कुसुम ही होता है"।
दूध का दूध पानी का पानी उचित निर्णय करना । राजा सिंदकर ऐसा था कि "दूध का दूध और पानी का पानी कर देता था।"
किला फतह करना बहुत कठिन कार्य करना रामू ने बारहवीं पास करके "किला फतह कर लिया हैं"।
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